Sunday, 17 July 2016

*हजारों लोगो का काफिला पुज्य गुरुदेव के साथ*

*हजारों लोगो का काफिला पुज्य गुरुदेव के साथ*                        

*आज रात्रि विश्राम*👉🏻 *भानपुर*                                  
   *जिनधर्म प्रभावक विश्व पुज्य सूर्य का होगा कल भव्य मंगल  प्रवेश*👣👣👣                        
  *जी हां*❗❗❗                  
 
    *इस धरा के साक्षात् अतिशय पूज्यो के पुज्य विश्व वन्दनीय*      
 *आचार्य देव महामना श्री 108 विद्यासागर जी ससंघ 38 महाराजो का भव्य मंगल चातुर्मासिक प्रवेश भोपाल नगर में*👣👣👣            

*हज़ारो भक्तों का काफिला पुज्य गुरुदेव के साथ विहार में चल रहा हैं*                                      
*मानो ऐसा लग रहा है पूरा, भोपाल गुरुदेव के साथ चल रहा हो*                                              
      *अद्भुत उत्साह*✨✨                
 
*छोटे हो या बड़े हो सब गुरुदेव के साथ विहार कर रहे है*          

*आखिर गुरुदेव की पावन मुस्कान को देखकर* ,                
   *सबके कष्ट जो मिट जाते है*  
           🙏�🙏�🙏�🙏�                  

⛳जिन शासन जयवन्त हो⛳


Friday, 15 July 2016

पड़ोसी का घर मेरे से ऊँचा बन गया है ये बात पीड़ा देती है और पड़ोसी मुश्किल ...



पडोसी का घर मेरे घर से ऊंचा बन गया है ये बात पीड़ा देती है और जिस दिन पड़ोसी मुश्किल में होता है तो ये बात मुझे सुख देती है ऐसा life style हो बन चूका है हमारा।



सभी को सादर जय जिनेंद्र। 2016.05.12

आज का विचार : महत्वकांक्षी होना बुरा नहीं पर अत्याधिक महत्वकांक्षी होना हमारे जीवन को बुरा बना सकता है। हमारी हार या जीत, कार्य के परिणाम पर नहीं बल्कि किस उद्देश्य से वह कार्य किया जा रहा है, उस पर निर्भर करती है। एक उदाहरण के माध्यम से मुनिश्री क्षमा सागर जी ने समझाया है कि अगर हमारा उद्देश्य अच्छा है तो कई बार हम हार कर भी जीत जाते हैं।





Ambitions are good to have to the extent that they don't hurt our own or other's lives. Munishri kshamasagar ji explains the importance of motive over the end result of competition through true story of Olympic player Lawrence Lemieux.    

       





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Sunday, 10 July 2016

संकटो में मुस्कान न छीन जाए इसका नाम साधना है परस्थिति को मनस्थिति न बनन...





दुनिया का मालिक बनने के लिए साधना नही की जाती अपने दोषो से मुक्त होने के लिए साधना की जाती है।



बाहर से जैन होने में (बाहर से जिन मार्गी होने में) और अंदर से उस मार्ग पर स्थिर रहने में बड़ा अन्तर है।



अति विश्वास विनय से दूर हो सकता है की नही अभी मैं बहुत छोटा हूँ मैं सिख ही तो रहा हूँ।



संकटो में मुस्कान न छीन जाए इसका नाम साधना है परस्थिति को मनस्थिति न बनने देने का नाम साधना है।



हर पल इस बात का ध्यान रखने योग्य है की साँस बाहर निकलने के बाद अंदर आये इसका कोई ठिकाना नही किसी भी पल कुछ भी हो सकता है।



त्याग के बाद एक हल्कापन आता है और फिर साधना के बाद एक आनंद आता है।



अगर सुधरने वाला सुधरने को त्यार हो जाए तो फिर सुधार को कौन सकता है।



आगम धारा 10.07.2016

Saturday, 9 July 2016

लकड़ी अग्नि बन जाती है पथ्थर सोना बन जाता है। उसी प्रकार...



सबके भीतर वो बैठा है।

आत्मा परमात्मा है।

सब भगवान् के अंश हैं।

लकड़ी अग्नि बन जाती है पथ्थर सोना बन जाता है। उसी प्रकार...

जब तक सत्य और आत्मा के बिच में अहंकार का पर्दा है तब तक भ्रम स्थिर रहता है

बस दोनों आँखों से दिखने लग जाए उसी का नाम सम्यक दर्शन है।

बस दोनों आँखों से दिखने लग जाए उसी का नाम सम्यक दर्शन है।

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Friday, 8 July 2016

विशुद्ध भाव से श्रद्धा पूर्वक किया गया दान ही हमारे लिए कल्याणकारी होता है





सभी को सादर जय जिनेंद्र। मंगलवार ५ जुलाई  २०१६ आषाढ़ शुक्ल एकम।

आज का विचार : हमारे द्वारा दिया गया दान कर्म निर्जरा और पुण्य के बन्ध में कितना सहायक होगा, यह दाता के परिणामों पर ही निर्भर होता है। विशुद्ध भाव से श्रद्धा पूर्वक किया गया दान ही हमारे लिए कल्याणकारी होता है, यही प्रेरणा आज हमें मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज के आज के प्रवचन अंश से मिलती है।



Thought of the day:In the process of endowment (Daan) the feelings and thoughts of person giving it determines how helpful is it in accumulation of Punya and eradication of Karma. Munishri Kshamasagarji elucidates how donating with pure feelings and devotion helps in our liberation.



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सांसारिक सुख और दुःख दोनो ही पीड़ा के कारण है: मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज



सभी को सादर जय जिनेंद्र।शुक्रवार ८ जुलाई  २०१६ आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी।

आज का विचार : सांसारिक सुख और दुःख दोनो ही पीड़ा के कारण है।जब हम दोनो परिस्थितियों में समता रखना सीख जावे तो संतोष और विरक्ति को पा सकते है जो हमारे लिए कल्याणकारी होगा।आज मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज हमें यही शिक्षा दे रहे है।



Thought of the day:Being overjoyed in moments of comfort and being distressed in moments of discomfort both lead to increased suffering in mundane life. When we accept the futility of the worldly experience and approach happiness and suffering with equanimity it leads us to state of detachment (virakti).



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Thursday, 7 July 2016

पूजा में टुटा फुटा पन हो सकता है लेकिन भावो में बहुत चोखा पन था और यही म...



सभी को सादर जय जिनेंद्र। बुधवार ६ जुलाई  २०१६ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया।
आचार्य कुँथुसागर महराज की जय। (दीक्षा दिवस)

आज का विचार : दाता की भावनाएं दिए गए दान की विशुद्धि को और बढ़ा देती है।दाता को पात्र के प्रति कृतज्ञता के भाव रखने चाहिए क्योंकि लेने वाला देने वाले से बड़ा होता है, यही शिक्षा मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज हमें दे रहे हैं।

कई बार दान देने के बाद भी लोभ जाग्रत हो जाता है की इतना नहीं देना था थोडा कम दे देते तो अच्छा रहता| 

इस लोक या परलोक में मुझे यश मिलेगा दान देने से ऐसी आकांशा नहीं रखना|

मुझे तो दान देने का अवसर मिला बस मुझे तो इसी में संतोष है| ऐसा भाव होना चाहिए| 

टूटी फूटी पूजा - क्रिया में टुटा फुटा पन हो सकता है लेकिन भावो में बहुत चोखा पन था और यही महत्वपूर्ण है|

हमारे मन में अगर भावनायो की निर्मलता है तो सारे काम आसान है|

अगर परिणाम निरमल है तो परिणाम मुख्य है|

जिसको जितनी आकुलता उसको उतनी देर|

दान देना मेरा फ़र्ज़ है यह तो मेरा कर्तव्य है|

सतना की एक घटना सुनाता हूँ:

दोनों भईया में वर्षो से बोल चाल बंद हो गयी थी और बड़े भैया के यहाँ चोका लगा तो आहार देने के लिए छोटे भईया नहीं आये क्यूंकि बोल चाल बंद है | लेकिन जब छोटे भैया के यहाँ चोका लगा तो बड़े भैया तो हमरे साथ रोज ही आहार में जाते थे रोज का नियम था उनका अब ठीक है छोटे भैया के यहाँ हो रहा है हमारा आना जाना १५ (15) साल से बंद है इसके बावजूद भी वे उनके यहाँ पर मेरे साथ साथ चले गये और जैसे ही बड़े भैया को अपने घर में घुसते देखा| छोटे भैया के परिणामो में अब परिवर्तन होना शुरू हुआ| महाराज आये सो आये ये तो मेरा सोभाग्य और जिनको में करोड़ रुपए देकर भी अपने घर की सीडी चड़ने के लिए कहता तो भी नहीं चड़ते वे भी आज महाराज के पीछे पीछे आ गये| मैं तो इनके घर नहीं गया था छोटा था चला जाता तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन ये बड़े होने पर भी मेरे घर आ गये हैं| दान देना तो एक तरफ रहा मुझे बिडाल कर के आंसू पोछने लगे| बड़े भैया चुप चाप खड़े हैं छोटे भैया पड़गा के लियाए हैं और पैर धुला रहे हैं में सोच रहा हूँ की मेरे आने से गद गद हैं| वो तो था ही लेकिन उनके मन में ये भी भाव था की महाराज आये तो ठीक है लेकिन बड़े भैया भी और फिर उसके बाद उनका बोल चाल कब कैसे शुरू हो गया कुछ कहने की आवश्यकता नही पड़ी| मेरे साथ सिर्फ उन्होंने यही कहा की आज तक आप जो कहते थे आज मुझे लगता है की ठीक है| कोई मेरे घर में आपको आहार देने आये तो आज के बाद से में अपना सोभाग्य मानूंगा| अभी तक तो मैं सोचता था की काहें को दुसरे के घर में देने चले जाते हैं लोग| अब मुझे लगता है की बहुत अच्छा है हम किसी को अपने घर में करोड़ रुपए देकर के भी बुलाये तो हमारे घर की सीडी नहीं चढ़ेगा वो हमारे बिना बुलाये हमारे घर में आया है वो हमारे घर में नहीं महाराज आये हैं इसलिए उनके साथ आया है वैसे वो अपने घर का रहिस है हमारे घर में बुलाने पर आयेगा नहीं लेकिन हमारे घर बिना बुलाये आया है वो भी मेहमान है| उसके प्रति हमारे मन में हम दिला पाए या ना दिला पाए उससे दान आहार लेकिन हमारे मन में उसके प्रति मात्सर्य नहीं होना चाहिए| हम अपना मन उसके प्रति अच्छा ही रखे की आओ आओ ऐसा लिखा है नन्दीश्वर भक्ति में बुलाते हैं देव आओ आओ सब आओ इंद्र महाराज जल्दी आओ अभिषेक करो| क्या ऐसे ही हम ऐसे सी भाव से भर कर की हाँ सब आओ सब आओ मेरे यहाँ महाराज आये हैं मेरे को दान देने का सोभाग्य मिला है आप सब इसमें शामिल हो क्या ऐसे परिणाम कभी हुए अपने| कोई आये या नहीं आये ऐसे परिणाम रखने चाहिए अपने मैं आपसे कहना यही चाह रहा हूँ| वास्तव में दान की परिक्रिया हमारे अपने धर्म ध्यान की परिक्रिया है हमारे जीवन को ऊँचा उठाने वाली एक परिक्रिया है अगर हम इसे ठीक ठीक समझ के अपने जीवन में एक प्रेरणा ले अपने जीवन को अच्छा बनाये|


Thought of the day:In the process of giving we must be thankful and indebted to the taker that he gave us the opportunity for accumulating Punya and eradicating Karma. Munishri Kshamasagarji explains to us why it is a matter of great fortune to find someone worthy of accepting our charity.

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सुख और दुख दोनों ही परिस्थितियों में समता रखे: मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज



सभी को सादर जय जिनेंद्र।गुरुवार ७ जुलाई  २०१६ आषाढ़ शुक्ल तृतीया।
आज का विचार : सुख और दुख दोनों ही परिस्थितियों में समता रखे तो अपने जीवन को हम संतुलित होकर जी सकते है। सुख और दुख की घड़ियों में हमारा व्यवहार कैसा हो, यही शिक्षा हमें आज *मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज* की वाणी से लेनी चाहिए।

प्रकाश की एक किरण बहुत सारे अँधेरे को भी दूर करने के लिए पर्याप्त होती है|

दुसरे का सुख देख के अपना दुःख जादा महसूस होने लगता है|

Fail होने वाले भी कई बार Enjoy करते हैं|

हमने अपने हर सम्भंध इसलिए बना रखे हैं की हमें इस आदमी से सुख मिलेगा इस चीज़ से सुख मिलेगा इस जगह से सुख मिलेगा| चीज़ में व्यक्ति में जगह में जबकि कही कोई सुख नही हैं|

चीजों को हमने जो पकड़ रखा हैं वह हमे पीड़ा देती हैं|

पीड़ा को बांटो तो आधी रह जाती हैं और सुख को बांटो तो दुगना हो जाता हैं कैसा गणित है ये - विनोभा भावे


Thought of the day:We can approach a balanced life by maintaining equanimity in moments of sorrow and happiness. Sharing sorrows with empathy reduces it whereas sharing happiness multiplies it manifold - this is the message Munishri Kshamasagarji conveys us in today's discourse.

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Friday, 1 July 2016

Acharya 108 shri Gyan Sagar Ji Maharaj

#Janma Abhishek of Aadinath Bhagwan on Panduk Shila #Pushp Varsha by Hel...

Bhagwaan Ko Janm Dene Wali Mata Ke Guno Ka Varnan

परम पूज्य आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश आज मकरोनिया अंकुर कॉलोनी सागर में हुआ। ए बी जैन न्यूज़ को जानकारी दी गई है कि अगवानी में पूज्य मुनि श्री पवित्र सागर जी महाराज पूज्य मुनि श्री प्रयोग सागर जी महाराज पूज्य मुनि श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज एव आर्यिका रत्न श्री दृढ मति माताजी, आर्यिका रत्न मृदुमति माताजी एवं अन्य समस्त आर्यिका संघ के द्वारा परम पूज्य गुरुदेव की चरण वंदना की गई । इस शुभ प्रसंग के साक्षी बने दूर दूर से आये जैन समाज के हजारो भक्त गण ।

पूज्य गुरुदेव को पड़गाहन एवं आहार चर्या का परम सौभाग्य श्री मुकेश जैन ढाना सागर निवासी को उनके आवास "मूक माटी" अंकुर कॉलोनी में मिला ।  श्री मुकेश ढाना बहुत ही पूण्यशाली व्यक्तित्व, हमेशा गुरु चरणो में रहने वाले भक्त है । उनके पूण्य की बहुत बहुत अनुमोदना ।
पूज्य गुरुवर का दोपहर पश्चात मंगल विहार गोपाल गंज जैन मन्दिर, सागर की ओर होना संभावित है ।

अनिल बड़कुल चयन न्यूज़ सेवा गुना
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श्रुत पंचमी पर्व का इतिहास: विशेष प्रवचन क्षुल्लक श्री 108 ध्यान सागर जी...

पहली बार ऐसा संत देखा -अमित शाह