सभी को सादर जय जिनेंद्र।गुरुवार ७ जुलाई २०१६ आषाढ़ शुक्ल तृतीया।
आज का विचार : सुख और दुख दोनों ही परिस्थितियों में समता रखे तो अपने जीवन को हम संतुलित होकर जी सकते है। सुख और दुख की घड़ियों में हमारा व्यवहार कैसा हो, यही शिक्षा हमें आज *मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज* की वाणी से लेनी चाहिए।
प्रकाश की एक किरण बहुत सारे अँधेरे को भी दूर करने के लिए पर्याप्त होती है|
दुसरे का सुख देख के अपना दुःख जादा महसूस होने लगता है|
Fail होने वाले भी कई बार Enjoy करते हैं|
हमने अपने हर सम्भंध इसलिए बना रखे हैं की हमें इस आदमी से सुख मिलेगा इस चीज़ से सुख मिलेगा इस जगह से सुख मिलेगा| चीज़ में व्यक्ति में जगह में जबकि कही कोई सुख नही हैं|
चीजों को हमने जो पकड़ रखा हैं वह हमे पीड़ा देती हैं|
पीड़ा को बांटो तो आधी रह जाती हैं और सुख को बांटो तो दुगना हो जाता हैं कैसा गणित है ये - विनोभा भावे
Thought of the day:We can approach a balanced life by maintaining equanimity in moments of sorrow and happiness. Sharing sorrows with empathy reduces it whereas sharing happiness multiplies it manifold - this is the message Munishri Kshamasagarji conveys us in today's discourse.
मैत्री समूह
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